
मध्य प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी-खासी हलचल मची हुई है। सरकार कामकाज के तौर-तरीकों में कुछ बड़े बदलाव लाने की तैयारी कर रही है, खासकर छुट्टियों और साप्ताहिक अवकाश को लेकर। ये कदम इसलिए उठाए जा रहे हैं ताकि दफ्तरों में ज्यादा से ज्यादा काम हो सके और जनता को बेहतर सेवा मिले। बात अगर सही हुई तो 2026 से पुरानी व्यवस्था बदल जाएगी।
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छुट्टियों पर ब्रेक लगने की तैयारी
अभी तो सरकारी दफ्तरों में हफ्ते में दो दिन की छुट्टी मिलती है – शनिवार और रविवार। लेकिन अब सरकार सोच रही है कि शनिवार को आधा-अधूरा बंद रखा जाए। मतलब, महीने के दूसरे और तीसरे शनिवार को ही अवकाश, बाकी शनिवारों पर पूरा काम चलेगा। इससे हफ्ते में छह दिन दफ्तर खुले रहेंगे, जो उत्पादकता बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। साल भर की छुट्टियों की संख्या में भी थोड़ी कटौती हो सकती है, ताकि जरूरी कामों पर फोकस रहे।
दो बड़े मॉडल पर चल रही चर्चा
सरकार दो रास्ते तलाश रही है। पहला मॉडल सख्त है – हफ्ते में पूरे छह दिन काम, सिर्फ दो शनिवार बंद। इससे कर्मचारियों को थोड़ा ज्यादा मेहनत तो करनी पड़ेगी, लेकिन दफ्तरों का काम तेजी से निपटेगा। दूसरा विकल्प केंद्र सरकार जैसा है, जहां पांच दिन काम होगा लेकिन हर दिन एक घंटा एक्स्ट्रा। यानी सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक ड्यूटी। दोनों ही तरीकों से बैलेंस बनाने की कोशिश हो रही है, जिसमें कर्मचारियों की परेशानी न हो और काम भी पूरा हो।
सीएम के पास अंतिम मुहर
ये सब कुछ सामान्य प्रशासन विभाग की एक खास समिति पर निर्भर है, जो 22 सितंबर को बनी थी। इस समिति ने दस से ज्यादा राज्यों के अवकाश मॉडल देखे हैं और जल्द बैठक करके रिपोर्ट तैयार करेगी। रिपोर्ट सीएम डॉ. मोहन यादव के टेबल पर पहुंचेगी, जिनकी हरी झंडी के बाद ही नया नियम लागू होगा। गणेश चतुर्थी वाली कैबिनेट बैठक में ही सीएम ने इसकी जरूरत बताई थी। अगर सब ठीक रहा तो 2026 से नई व्यवस्था शुरू हो जाएगी।
कर्मचारियों पर क्या असर पड़ेगा?
कर्मचारी संगठनों में थोड़ी बेचैनी है, लेकिन ज्यादातर मानते हैं कि बदलाव जरूरी है। पहले कोविड के समय पांच दिन की व्यवस्था शुरू हुई थी, अब उसे समेटने का वक्त आ गया। वित्त विभाग ने भी नए सिविल सेवा अवकाश नियम 2025 जारी कर दिए हैं, जो 1 जनवरी 2026 से चलेंगे। इसमें अर्जित अवकाश 30 दिन सालाना मिलेगा, लेकिन मंजूरी अफसर पर निर्भर। कुल मिलाकर, ये बदलाव प्रदेश की行政 क्षमता को मजबूत करेंगे।
भविष्य की उम्मीदें
ये कदम मध्य प्रदेश को ज्यादा कुशल राज्य बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। कर्मचारियों को थोड़ा एडजस्ट करना पड़ेगा, लेकिन लंबे समय में फायदा ही होगा। जनता को भी जल्दी काम मिलेगा। सरकार का फोकस संतुलन पर है – न छुट्टियां बहुत ज्यादा, न बहुत कम। अब बस सीएम के फैसले का इंतजार है।

















