
उत्तर प्रदेश के पांच महत्वपूर्ण जिलों से गुजरने वाली 240 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरी तरह संपन्न हो चुका है, यह परियोजना भारतीय रेलवे के इतिहास में मील का पत्थर साबित होने वाले पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (Eastern Dedicated Freight Corridor – EDFC) का एक अभिन्न अंग है।
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परियोजना का विवरण
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) द्वारा प्रबंधित यह विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट विशेष रूप से मालगाड़ियों के सुचारू और तीव्र संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। 240 किलोमीटर का यह खंड यूपी के मध्य और पूर्वी हिस्सों को सीधे तौर पर जोड़ेगा।
इन 5 जिलों को होगा सीधा लाभ
इस नई रेल अवसंरचना का सबसे अधिक और सीधा लाभ निम्नलिखित पांच जिलों की अर्थव्यवस्था को मिलने की उम्मीद है:
- चंदौली: कृषि और औद्योगिक उत्पादों के परिवहन में तेजी आएगी।
- मिर्जापुर: यहां के पारंपरिक उद्योगों और लॉजिस्टिक्स हब को मजबूती मिलेगी।
- प्रयागराज: यह एक प्रमुख जंक्शन और आर्थिक केंद्र के रूप में उभरेगा।
- कौशांबी: बेहतर कनेक्टिविटी से नए उद्योगों के आने की संभावना बढ़ेगी।
- फतेहपुर: व्यापारिक गतिविधियों और परिवहन दक्षता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
तस्वीर बदलने की मुख्य वजहें
- मालगाड़ियों के लिए अलग से ट्रैक होने के कारण, सामान की आवाजाही मौजूदा समय से काफी कम समय में पूरी हो सकेगी।
- मुख्य लाइनों से मालगाड़ियों का दबाव हटने से यात्री ट्रेनें अपने निर्धारित समय पर चल सकेंगी।
- बेहतर कनेक्टिविटी इन जिलों में नए उद्योग स्थापित करने के लिए निवेशकों को आकर्षित करेगी, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा होना इस परियोजना के क्रियान्वयन में एक बड़ी बाधा को पार करना है, अब निर्माण कार्य में तेजी आने की उम्मीद है, जिससे जल्द ही इन जिलों की आर्थिक और औद्योगिक तस्वीर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

















