
ठंड के मौसम में गले की खराश, दर्द और आवाज बैठना बहुत आम परेशानी है। कई बार मौसम बदलने, ठंडी चीजें खाने या धूल और प्रदूषण के कारण गला सूखने लगता है। ऐसे में अगर तुरंत ध्यान न दिया जाए तो यह समस्या खांसी या टॉन्सिल तक बढ़ सकती है। दवा लेने से पहले कुछ पुराने और असरदार घरेलू नुस्खे आजमाए जा सकते हैं जो बिना किसी साइड इफेक्ट के राहत देते हैं।
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गले की खराश के आम कारण
मौसम का अचानक बदलाव, ठंडी हवा, या ठंडा पानी पीना इस समस्या का मुख्य कारण होता है। कई बार प्रदूषण, धुआं या ज्यादा तेज आवाज में बोलना भी गले पर असर डालता है। मसालेदार भोजन, धूम्रपान और कम पानी पीना भी गले को सूखा बना देते हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर वायरस आसानी से गले को संक्रमित कर देते हैं, जिससे दर्द और खराश शुरू हो जाती है।
नमक के पानी से गरारे करें
गले की सफाई के लिए नमक का गुनगुना पानी सबसे सरल लेकिन प्रभावी उपाय माना जाता है। आधा चम्मच नमक एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में तीन बार गरारे करें। यह गले के अंदर जमा बैक्टीरिया को खत्म करता है और सूजन में तुरंत राहत देता है। सुबह और रात इस आदत को अपनाएं — कुछ ही दिनों में फर्क महसूस होगा।
अदरक और शहद का प्राकृतिक मेल
अगर गले में जलन या खांसी महसूस हो रही है, तो अदरक और शहद बेहद उपयोगी साबित होते हैं। एक चम्मच अदरक का रस निकालकर उसमें एक चम्मच शहद मिलाएं और धीरे-धीरे चाटें। यह मिश्रण गले की सतह पर परत बनाकर आराम पहुंचाता है और संक्रमण कम करता है। सर्दियों में दिन में दो बार यह लेना बहुत फायदेमंद रहता है।
हल्दी वाला दूध – प्राकृतिक हीलर
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन सूजन कम करता है और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। एक गिलास गर्म दूध में चुटकीभर हल्दी मिलाकर रात को सोने से पहले पिएं। इससे गले का दर्द कम होता है, शरीर को अंदर से गर्माहट मिलती है और नींद भी अच्छी आती है। बच्चों को हल्दी वाला दूध थोड़ी कम मात्रा में दिया जा सकता है।
तुलसी की चाय से मिले आराम
तुलसी के पत्ते एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होते हैं। कुछ तुलसी पत्ते एक कप पानी में उबालें, उसमें थोड़ा सा अदरक और शहद डालें, और गर्म-गर्म पिएं। यह गले को नरम बनाता है और संक्रमण से बचाव करता है। दिन में दो बार तुलसी की चाय पीने से गला साफ रहता है और आवाज भी सुरीली महसूस होती है।
मुलेठी – गले की परंपरागत औषधि
आयुर्वेद में मुलेठी को गले की औषधि कहा गया है। इसका एक छोटा टुकड़ा धीरे-धीरे चबाएं या इसका पाउडर शहद के साथ लें। इसमें सूजन कम करने वाले गुण होते हैं जो खराश और खांसी दोनों में राहत देते हैं। हालांकि, अगर ब्लड प्रेशर की समस्या है तो इसका सेवन सीमित मात्रा में करें।
मेथी दाने का पानी
मेथी के दाने एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होते हैं। एक चम्मच मेथी दाने को एक गिलास पानी में उबालें, छान लें और गुनगुना पीएं या गरारे करें। यह गले में जमा बैक्टीरिया को खत्म करता है और सूजन को घटाता है। सुबह खाली पेट इसका सेवन करने से पेट भी साफ रहता है और शरीर हल्का महसूस होता है।
भाप लेना न भूलें
भाप लेने से गले को नमी मिलती है और बलगम आसानी से निकल जाता है। एक बर्तन में गर्म पानी लें, सिर पर तौलिया रखकर पांच मिनट भाप लें। चाहें तो इसमें नींबू या पुदीने की कुछ बूंदें डाल सकते हैं। इससे सांस साफ होती है और गले की जकड़न कम होती है।
गले की सुरक्षा के लिए जरूरी टिप्स
- हमेशा गुनगुना पानी पिएं।
- दिन में एक या दो बार गरारे करें।
- धूल या ठंडी हवा से बचने के लिए मुंह ढकें।
- आंवला, नींबू और संतरा जैसे विटामिन-सी वाले फल जरूर खाएं।
- धूम्रपान और अत्यधिक ठंडे खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
- पर्याप्त नींद लें और तनाव से दूर रहें।

















